"हमारा समाज, जो कभी गहरे रिश्तों और संस्कारों की नींव पर खड़ा था, आज सोशल मीडिया की चमक-दमक में अपनी असली पहचान भूलता जा रहा है।" पहले रिश्तों में जो मिठास और गहराई थी, वो आज खो गई है। हर आयु वर्ग के लोग, बच्चे से लेकर बूढ़े तक, फोटो, स्टेटस, और रील के लिए सोशल मीडिया पर अपनी असल जिंदगी से दूर होते जा रहे हैं।
सोशल मीडिया का असर:
1. **रिश्तों में बदलाव**: आज जब लोग मिलते हैं, पहले फोटो खींचते हैं और फिर बात करते हैं। खाना खाने से पहले भी फोटो लेते हैं। इस व्यवहार से रिश्तों में ईमानदारी और गहराई खोती जा रही है। हम अपनों के साथ होते हुए भी, मोबाइल की स्क्रीन के ज़रिए कहीं और खोए होते हैं।
2. **संस्कारों की अनदेखी**: हमारी संस्कृति में हर उम्र का अपना महत्व और गरिमा है, लेकिन आज सोशल मीडिया पर हर आयु वर्ग एक जैसा व्यवहार कर रहा है। बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक, हर कोई अपने आपको डिजिटल दुनिया में दिखाने के लिए कुछ भी कर रहा है।
3. **अपनी पहचान का खोना**: हमारी बहन-बेटियाँ भी अपने पारंपरिक और सांस्कृतिक मूल्यों को पीछे छोड़कर खुद को सोशल मीडिया पर ऐसे प्रस्तुत कर रही हैं, जो हमारी संस्कृति के अनुकूल नहीं है। हम क्यों चाहते हैं कि वे नाच-गाने में फंस जाएँ और अपनी असली पहचान भूल जाएँ?
सोशल मीडिया और हमारा भविष्य:
जब देश का युवा केवल अपने ऑनलाइन प्रेजेंस पर ध्यान देता है, तो असल जीवन में देश की उन्नति कौन करेगा? हम अपनी ऊर्जा और समय ऐसे मंचों पर लगा रहे हैं, जो हमारे देश के विकास में कोई योगदान नहीं देते। सोशल मीडिया के जाल में फँसकर, हम धीरे-धीरे अपनी असलियत और संभावनाओं को खोते जा रहे हैं। इस तरह से भारत का विकास रुक सकता है, जो हमारे विरोधी देश चाहते हैं।
क्या कर सकते हैं हम?
हमें यह सोचना होगा कि सोशल मीडिया का उपयोग अपने फायदे के लिए कैसे करें। सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीखने, लोगों को जोड़ने और अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए करना चाहिए, न कि अपनी असल पहचान को मिटाने के लिए। हमें अपनी युवा पीढ़ी को सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग का महत्व समझाना होगा, ताकि वे इसे अपने जीवन में सही दिशा में उपयोग कर सकें।
सामाजिक संदेश:
आइए, हम सब एकजुट होकर अपने असली संस्कारों की ओर वापस लौटें। सोशल मीडिया का इस्तेमाल जरूर करें, पर सही तरीके से, जिससे हमारी असल जिंदगी प्रभावित न हो और हम अपने रिश्तों को बचा सकें। अगर हमें सच में भारत को आगे बढ़ाना है, तो हमें इस डिजिटल दुनिया में भी अपनी असली पहचान और मूल्यों को बनाए रखना होगा।
**सीख**: सोशल मीडिया को अपनी पहचान का हिस्सा बनने दें, पर अपनी पहचान को उसकी भेंट मत चढ़ने दें। इसे अपने जीवन का साधन बनाएं, साध्य नहीं।
**"हम अपनी असल पहचान, अपने रिश्ते और संस्कार को बचाकर ही अपने देश को आगे बढ़ा सकते हैं। सोशल मीडिया का उपयोग जरूर करें, पर उसकी सीमा को जानें और उसका सही तरीके से इस्तेमाल करें।"**
**हमारे युवा ही हमारे देश का भविष्य हैं। आइए, उन्हें डिजिटल दुनिया में खोने नहीं दें, बल्कि उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन दें।**
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